गजल
कहिले रिसाउने,कहिले खुसाउने, तिम्रो मुडको चाल भो !
तिमिसंगै डुल्न खेल्न पाउदा, अरु सबै कुरा बाल भो !!
दिन हैन, रात हैन, हरपल मेरो लागि सबै एकै भो !
यादमा तिम्रो डुबी रहे, कस्तो मेरो यो हाल भो !!
थाहा छैन मलाइ केहि , मन भरी खुल्दुली भो !
तिम्रो बोलाइ, तिम्रो हेराइ, माछिको झैँ जाल भो !!
गुन गुनाइ रहने, टोल्याइरहे, खै मलाइ के भो !
पाउदा साथ तिम्रो, मन खहरेको झै छाल भो !!
कहिले रिसाउने,कहिले खुसाउने, तिम्रो मुडको चाल भो !
तिमिसंगै डुल्न खेल्न पाउदा, अरु सबै कुरा बाल भो !!
Followers
Translate this blog into your language to read it.
पुराना संग्रहहरु
-
►
2008
(38)
- ► August 2008 (4)
- ► September 2008 (6)
- ► October 2008 (10)
- ► November 2008 (9)
- ► December 2008 (9)
-
►
2009
(36)
- ► January 2009 (8)
- ► February 2009 (5)
- ► March 2009 (6)
- ► April 2009 (3)
- ► August 2009 (3)
- ► December 2009 (5)
-
▼
2010
(38)
- ► January 2010 (3)
- ► February 2010 (3)
- ► March 2010 (2)
- ► April 2010 (2)
- ► September 2010 (4)
- ► October 2010 (1)
- ► November 2010 (8)
- ► December 2010 (3)
-
►
2011
(27)
- ► January 2011 (3)
- ► February 2011 (3)
- ► March 2011 (4)
- ► April 2011 (4)
- ► August 2011 (2)
- ► October 2011 (1)
-
►
2012
(15)
- ► February 2012 (1)
- ► March 2012 (2)
- ► September 2012 (1)
- ► November 2012 (4)
- ► December 2012 (5)
-
►
2013
(44)
- ► January 2013 (3)
- ► February 2013 (1)
- ► March 2013 (5)
- ► April 2013 (3)
- ► August 2013 (4)
- ► September 2013 (3)
- ► October 2013 (1)
- ► November 2013 (1)
- ► December 2013 (5)
-
►
2014
(20)
- ► January 2014 (1)
- ► February 2014 (1)
- ► August 2014 (6)
- ► September 2014 (4)
- ► November 2014 (2)
- ► December 2014 (3)
-
►
2015
(36)
- ► January 2015 (5)
- ► February 2015 (2)
- ► March 2015 (2)
- ► April 2015 (2)
- ► August 2015 (2)
- ► September 2015 (1)
- ► October 2015 (4)
- ► November 2015 (4)
- ► December 2015 (3)
-
►
2016
(3)
- ► March 2016 (2)
- ► August 2016 (1)
-
►
2017
(1)
- ► March 2017 (1)
-
►
2018
(14)
- ► February 2018 (2)
- ► April 2018 (1)
- ► September 2018 (1)
- ► November 2018 (1)
-
►
2019
(15)
- ► March 2019 (3)
- ► April 2019 (5)
- ► October 2019 (1)
- ► November 2019 (2)
- ► December 2019 (1)
-
►
2020
(8)
- ► February 2020 (2)
- ► March 2020 (2)
- ► April 2020 (2)
- ► August 2020 (1)
-
►
2021
(2)
- ► January 2021 (1)
- ► February 2021 (1)
-
►
2022
(3)
- ► October 2022 (1)
- ► December 2022 (2)
-
►
2023
(26)
- ► January 2023 (3)
- ► February 2023 (1)
- ► March 2023 (6)
- ► April 2023 (5)
- ► August 2023 (1)
- ► September 2023 (1)
- ► December 2023 (4)
-
►
2024
(8)
- ► February 2024 (1)
- ► April 2024 (2)
- ► August 2024 (4)
कैले रिसाउने र कैले खुसाउने त उनकै चाल भो
ReplyDeleteगहन लेखाइ कला शैली बेदजि कै गजलको माल भो
हे हे हे गजल लेख्नै पो नआउदो रहेछ मलाइ त ।
राम्रो लाग्यो बेद जी तपाइको गजल यहाको सृजनालाइ सलाम फेरी फेरी लेख्दै गर्नु होला
यस्तै त हुँदो रहेछ नि बेदनाथजी ! यथार्थता छ तपाईंको गजलमा ! थोरै कुरा पढ्दा लयात्मकतामा अलि कमी देखिन्छ | अरु मेरो पनि कुरा यहि हो उनको बारेमा !
ReplyDeleteकल्पनामा डुबेर लेखेपछी सृजना नमिठो हुने कुरै छैन । सुन्दर गजल ।
ReplyDeleteम त यत्ति भन्छु बाल बाल मा 'बबाल ' छ है :)
ReplyDelete